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Methods of teaching in Institutions of higher learning: Teacher centred vs Learner centred methods or Off-line vs On-line methods (Swayam, Swayamprabha, MOOCs) in Hindi

Methods of teaching in Institutions of higher learning: Teacher centred vs Learner centred methods or Off-line vs On-line methods (Swayam, Swayamprabha, MOOCs) in Hindi || उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण विधियाँ: शिक्षक-केंद्रित बनाम शिक्षार्थी-केंद्रित विधियाँ या ऑफ़लाइन बनाम ऑनलाइन विधियाँ (स्वयं, स्वयंप्रभा, MOOCs)

 Table of Content(toc)

शिक्षक-केंद्रित बनाम शिक्षार्थी-केंद्रित विधियाँ (Teacher-Centred vs Learner-Centred Methods)

1. शिक्षक-केंद्रित विधियाँ (Teacher-Centred Methods)

शिक्षक-केंद्रित शिक्षण विधियों में शिक्षक मुख्य भूमिका निभाता है और शिक्षार्थी एक निष्क्रिय श्रोता होते हैं। यह विधियाँ परंपरागत रूप से अधिक उपयोग की जाती रही हैं।

प्रमुख विशेषताएँ:
  • व्याख्यान (Lecture): यह सबसे सामान्य शिक्षक-केंद्रित विधि है जिसमें शिक्षक एकतरफा जानकारी प्रदान करता है।
  • प्रदर्शन (Demonstration): शिक्षक छात्रों को किसी प्रक्रिया या तकनीक का प्रदर्शन करता है।
  • डायरेक्ट इंस्ट्रक्शन (Direct Instruction): इसमें शिक्षक स्पष्ट रूप से निर्देश और नियमों को प्रस्तुत करता है।
लाभ:
  • सूचना का त्वरित वितरण: बड़ी संख्या में छात्रों को जल्दी जानकारी दी जा सकती है।
  • संरचित और व्यवस्थित: यह विधि पाठ्यक्रम को संरचित और क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत करती है।
  • शिक्षक का नियंत्रण: शिक्षक पूरी कक्षा पर नियंत्रण रख सकता है।
सीमाएँ:
  • निष्क्रिय अधिगम: छात्रों की सक्रिय सहभागिता की कमी होती है।
  • व्यक्तिगत ध्यान की कमी: प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करना कठिन हो सकता है।
  • रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच का विकास नहीं: यह विधि रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित नहीं करती।

2. शिक्षार्थी-केंद्रित विधियाँ (Learner-Centred Methods)

शिक्षार्थी-केंद्रित शिक्षण विधियों में छात्र की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया जाता है। यह विधियाँ आधुनिक शिक्षा में अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

प्रमुख विशेषताएँ:
  • सक्रिय अधिगम (Active Learning): छात्र खुद से सीखते हैं और कक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  • समूह कार्य (Group Work): छात्र समूह में कार्य करते हैं और सहयोगात्मक अधिगम को प्रोत्साहित करते हैं।
  • समस्या-आधारित अधिगम (Problem-Based Learning): छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
लाभ:
  • अधिगम में सक्रिय सहभागिता: छात्र अधिक सक्रिय और संलग्न रहते हैं।
  • व्यक्तिगत ध्यान: प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत जरूरतों और क्षमताओं पर ध्यान दिया जाता है।
  • रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच का विकास: यह विधियाँ रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती हैं।
सीमाएँ:
  • समय की आवश्यकता: इस विधि को लागू करने में अधिक समय लग सकता है।
  • शिक्षक का प्रशिक्षण: शिक्षकों को इन विधियों के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है।
  • संसाधनों की आवश्यकता: इन विधियों के लिए अधिक संसाधन और सामग्री की आवश्यकता हो सकती है।

ऑफ़लाइन बनाम ऑनलाइन विधियाँ (Off-Line vs On-Line Methods)

ऑफ़लाइन विधियाँ (Off-Line Methods)

प्रमुख विशेषताएँ:
  • पारंपरिक कक्षा (Traditional Classroom): यह विधि शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होकर शिक्षण और अधिगम पर आधारित है।
  • लैब और प्रैक्टिकल (Lab and Practical Sessions): वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा में प्रयोगशालाओं और प्रायोगिक सत्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
लाभ:
  • व्यक्तिगत संपर्क: शिक्षक और छात्रों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क और संवाद होता है।
  • प्रायोगिक अधिगम: व्यावहारिक कार्य और प्रयोगशाला सत्र अधिक प्रभावी होते हैं।
  • संरचित वातावरण: कक्षा का संरचित वातावरण अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
सीमाएँ:
  • सीमित पहुँच: भौतिक स्थान और समय की सीमाएँ होती हैं।
  • लचीलापन नहीं: शिक्षण समय और स्थान में लचीलापन नहीं होता।
  • अधिक संसाधनों की आवश्यकता: भौतिक संसाधनों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।

ऑनलाइन विधियाँ (On-Line Methods)

प्रमुख विशेषताएँ:
  • स्वयं (Swayam): भारत सरकार की यह पहल मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOCs) प्रदान करती है, जिसमें उच्च शिक्षा के लिए विविध विषयों में पाठ्यक्रम शामिल हैं।
  • स्वयंप्रभा (Swayamprabha): यह 32 डीटीएच चैनलों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री प्रसारित करता है, जो उन छात्रों के लिए उपयोगी है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है।
  • MOOCs (Massive Open Online Courses): ये वैश्विक स्तर पर उपलब्ध ऑनलाइन पाठ्यक्रम होते हैं, जो बड़े पैमाने पर छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं।
लाभ:
  • लचीलापन: छात्र किसी भी समय और किसी भी स्थान से अध्ययन कर सकते हैं।
  • व्यापक पहुँच: शिक्षा को अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सकता है, विशेष रूप से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • आधुनिक तकनीक: डिजिटल उपकरणों और तकनीकों का उपयोग शिक्षण को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाता है।
सीमाएँ:
  • तकनीकी समस्याएँ: इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी समस्याएँ बाधा बन सकती हैं।
  • व्यक्तिगत संपर्क की कमी: शिक्षक और छात्रों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क और संवाद की कमी होती है।
  • आत्म-अनुशासन की आवश्यकता: छात्रों को आत्म-अनुशासन और समय प्रबंधन में सक्षम होना आवश्यक है।

उच्च शिक्षा में शिक्षण विधियों का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि पाठ्यक्रम की प्रकृति, छात्रों की आवश्यकताएँ, उपलब्ध संसाधन, और संस्थान की नीतियाँ। शिक्षक-केंद्रित और शिक्षार्थी-केंद्रित विधियाँ, दोनों के अपने लाभ और सीमाएँ हैं, और इन्हें सही संतुलन में उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह, ऑफ़लाइन और ऑनलाइन विधियाँ भी एक-दूसरे की पूरक हो सकती हैं, जिससे एक व्यापक और समृद्ध शिक्षण अनुभव प्राप्त हो सके।

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