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Information Technology- Components, Impact of IT on Society

 Information Technology - Components


1. हार्डवेयर (Hardware): कंप्यूटर और उसके संबंधित उपकरण जैसे कि प्रोसेसर, मेमोरी, स्टोरेज डिवाइस, इनपुट डिवाइस (कीबोर्ड, माउस) और आउटपुट डिवाइस (मॉनिटर, प्रिंटर)।


2. सॉफ्टवेयर (Software): ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर, ड्राइवर्स, और अन्य कंप्यूटर प्रोग्राम्स।


3. नेटवर्क (Network): डेटा को कंप्यूटर या उपकरणों के बीच संचार करने के लिए संचार तंत्र और प्रोटोकॉल्स।


4. डेटाबेस और संग्रहण (Database and Storage): डेटा को संग्रहित करने और प्रबंधित करने के लिए डेटाबेस सिस्टम और संग्रहण तंत्र।


5. सुरक्षा (Security): जानकारी और डेटा की सुरक्षा के लिए उपाय जैसे कि फ़ायरवॉल, एंटीवायरस, और क्रिप्टोग्राफी।


6. आपरेटिंग सिस्टम (Operating System): कंप्यूटर की संसाधनों को प्रबंधित करने और अनुप्रयोगों को चलाने के लिए सॉफ़्टवेयर।


Information Technology के समाज पर प्रभाव


1. संचार की सुविधा (Communication Convenience): संचार के माध्यमों में वृद्धि के कारण लोग आसानी से आपस में संवाद कर सकते हैं, जो समाज में बेहतर समझौते की संभावनाओं को बढ़ाता है।


2. ऊर्जा की बचत (Energy Conservation): ऑनलाइन कार्य करने से बहुत सारी ऊर्जा की बचत होती है, जैसे कि ईमेल के माध्यम से संचार विधियों की तुलना में अधिक ऊर्जा का उपयोग नहीं होता है।


3. व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का सुधार (Improvement in Personal and Professional Life): आजकल कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से लोग अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को संचालित करने के लिए कई सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।


4. नौकरी और उत्थान के अवसर (Job Opportunities and Development): IT क्षेत्र में नौकरी की संभावनाएं बढ़ गई हैं और यह सामाजिक और आर्थिक उत्थान में सहायक है।


Computers-Hardware, Software / कंप्यूटर - हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर


1. हार्डवेयर (Hardware):

   - हार्डवेयर कंप्यूटर के उपकरण और उनके भागों को संदर्भित करता है जो जिम्मेदार होते हैं डेटा को प्रोसेस करने, संग्रहित करने और प्रदर्शित करने के लिए। इनमें प्रोसेसर, मेमोरी, हार्ड ड्राइव, माउस, कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर, आदि शामिल होते हैं।


2. सॉफ़्टवेयर (Software):

   - सॉफ़्टवेयर कंप्यूटर के नियंत्रण और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर, ड्राइवर्स, और अन्य प्रोग्राम शामिल होते हैं जो हार्डवेयर के साथ संयुक्त रूप से काम करते हैं।


Storage Devices


संग्रहण उपकरण (Storage Devices) कंप्यूटर में डेटा को संग्रहित करने और रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण होते हैं। ये विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।


कुछ महत्वपूर्ण संग्रहण उपकरणों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. हार्ड डिस्क (Hard Disk): यह कंप्यूटर में सबसे प्रसिद्ध संग्रहण उपकरण है जो डेटा को ट्रैक्स और सेक्टर्स में संग्रहित करता है।


2. सॉलिड स्टेट ड्राइव (Solid State Drive - SSD): ये डिजिटल खंड में डेटा को संग्रहित करते हैं, और अक्सर तेजी से डेटा एक्सेस करने की अनुमति देते हैं।


3. ओप्टिकल डिस्क (Optical Disk): CD, DVD, और Blu-ray जैसे ओप्टिकल डिस्क डेटा को संग्रहित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।


4. यूएसबी फ्लैश ड्राइव (USB Flash Drive): ये छोटे आकार के ड्राइव होते हैं जिन्हें USB पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता है।


5. कार्ड मीडिया (Memory Cards): SD कार्ड, माइक्रो SD कार्ड, आदि विभिन्न प्रकार के कार्ड कंप्यूटर में डेटा को संग्रहित करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।


6. नेटवर्क ड्राइव (Network Drive): ये डेटा को नेटवर्क के माध्यम से संग्रहित करने और अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ साझा करने के लिए उपयोग किये जाते हैं।


Input/Output Devices


इनपुट/आउटपुट उपकरण (Input/Output Devices) कंप्यूटर प्रणालियों में डेटा को प्रवेश और निकासी के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण होते हैं। इनपुट उपकरण डेटा को कंप्यूटर में दर्ज करने में मदद करते हैं, जबकि आउटपुट उपकरण कंप्यूटर से डेटा को निकालने में सहायक होते हैं।


कुछ प्रमुख इनपुट उपकरणों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. कीबोर्ड (Keyboard): टाइप किए गए अक्षरों, संख्याओं, और अन्य संकेतों को कंप्यूटर में दर्ज करने के लिए उपयोग किया जाता है।


2. माउस (Mouse): कंप्यूटर के स्क्रीन पर चिह्नों और विकल्पों को चुनने और स्क्रॉल करने के लिए उपयोग किया जाता है।


3. स्कैनर (Scanner): तस्वीरें, फोटो, या दस्तावेजों को कंप्यूटर में डिजिटल रूप में स्कैन करने के लिए उपयोग किया जाता है।


4. वेबकैम (Webcam): वीडियो कॉल और वेबकैम फोटोग्राफी के लिए उपयोग किया जाता है।


कुछ प्रमुख आउटपुट उपकरणों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. मॉनिटर (Monitor): कंप्यूटर की स्क्रीन जिस पर ग्राफिक्स, टेक्स्ट, और अन्य डेटा प्रदर्शित होता है।


2. प्रिंटर (Printer): डेटा को कंप्यूटर से पेपर पर छपने के लिए उपयोग किया जाता है।


3. स्पीकर (Speaker): ध्वनि को कंप्यूटर से सुनने के लिए उपयोग किया जाता है।


4. हेडफोन (Headphones): ध्वनि को कंप्यूटर से सुनने के लिए उपयोग किया जाता है और इससे पार्टनर को भी अस्वीकृत किया जाता है।



Telecommunication


दूरसंचार (Telecommunication) शब्द का अर्थ है "दूरस्थ संचार"। यह उपकरण, तकनीक, और प्रक्रियाओं का समूह है जिसका उपयोग जानकारी, डेटा, या संदेश को दूरस्थ स्थानों के बीच संचालित करने के लिए किया जाता है।


दूरसंचार के कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:


1. फोन सेवा (Telephone Service): यह वाणिज्यिक और आवासीय उपयोगकर्ताओं के बीच शब्दों और ध्वनि की संचार को संचालित करता है।


2. मोबाइल फोन (Mobile Phone): यह वायरलेस तकनीक का उपयोग करते हुए बिना तार के उपकरणों के माध्यम से फोन सेवाएं प्रदान करता है।


3. इंटरनेट (Internet): इंटरनेट दूरसंचार का एक प्रमुख साधन है जिसके माध्यम से डेटा, इमेल, वेबसाइट, सोशल मीडिया, और अन्य डिजिटल सामग्री को दूरस्थ लोगों के साथ साझा किया जाता है।


4. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing): यह उपकरण वीडियो और ध्वनि के माध्यम से दो या अधिक स्थानों के बीच संचार को संचालित करता है ताकि वाणिज्यिक और आधिकारिक बातचीत हो सके।


5. फैक्स (Fax): फैक्स मशीन डिजिटल संदेशों को तस्वीरों के रूप में प्रेषित और प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।


6. रेडियो और टेलीविजन (Radio and Television): रेडियो और टेलीविजन उपकरण संचार के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं और बिना तार के संचार को संचालित करते हैं।


7. नेटवर्किंग (Networking): कंप्यूटर नेटवर्किंग विभिन्न संसाधनों, उपकरणों और सुविधाओं के बीच डेटा संचार को संचालित करने के लिए उपयोग किया जाता है।


प्रसारण माध्य (Transmission Media) उन माध्यों को कहा जाता है जिनका उपयोग डेटा या संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित करने के लिए किया जाता है। ये विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं और प्रत्येक का अपना विशेषता और उपयोग होता है।


कुछ प्रमुख प्रसारण माध्यों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. वायर्ड मीडिया (Wired Media):

   - कोएल केबल (Coaxial Cable)

   - ट्विस्ट्ड पेयर केबल (Twisted Pair Cable)

   - फाइबर ऑप्टिक्स (Fiber Optics)


2. वायरलेस मीडिया (Wireless Media):

   - रेडियो तंत्र (Radio Waves)

   - माइक्रोवेव तंत्र (Microwaves)

   - इन्फ्रारेड तंत्र (Infrared Waves)

   - उल्लंघन तंत्र (Satellite Communication)


Switching systems


कुछ महत्वपूर्ण स्विचिंग प्रणालियों का उल्लेख निम्नलिखित है:


1. सर्किट स्विचिंग (Circuit Switching): इस प्रणाली में, संचार संबंधी संसाधनों को समायोजित किया जाता है ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर सीधी वाणी या डेटा कनेक्शन को स्थापित किया जा सके।


2. पैकेट स्विचिंग (Packet Switching): इस प्रणाली में, डेटा को छोटे इकाइयों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पैकेट्स कहा जाता है, और इन पैकेट्स को नेटवर्क के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।


3. वर्चुअल स्विचिंग (Virtual Circuit Switching): इस प्रणाली में, सर्किट स्विचिंग का एक रूप होता है, लेकिन इसमें स्विचिंग का संबंधित संसाधन वर्चुअल स्विच के रूप में उपयोग किया जाता है। यह अधिक उपयोगी होता है जब संचार लाइन की संचार अवधि लंबी होती है और धारकों के बीच स्थिति का लेन-देन होता है।


4. स्थानांतरण संवाद (Switched Communication): यह सिस्टम सीधी निर्देशिका और व्यक्तिगत निर्देशिका दोनों के लिए उपयुक्त है। इसमें एक प्रमुख संचार पथ होता है जिसमें कुछ नोड होते हैं जो कि संचार संबंधी निर्देशिका का कार्य करते हैं।


5. धारित स्विचिंग (Stored and Forward Switching): इस प्रणाली में, डेटा को पूरी तरह से प्राप्त किया जाता है और फिर आगे भेजा जाता है। यह प्रणाली पैकेट स्विचिंग में उपयुक्त होती है।



बैंडविड्थ (Bandwidth) शब्द नेटवर्किंग और कंप्यूटर नेटवर्क के डिजिटल डेटा की गति या क्षमता को दर्शाने के लिए उपयोग होता है। यह एक मापक इकाई होती है जो नेटवर्क की क्षमता को निर्दिष्ट करती है, जिसमें अधिक से अधिक डेटा एक समय में पारित किया जा सकता है।


बैंडविड्थ नेटवर्किंग में अद्यतन दर और संचार की स्थिरता की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। अधिक बैंडविड्थ के साथ, अधिक डेटा संचारित किया जा सकता है, जो अधिक गति और उच्च संचार क्षमता का अर्थ होता है। इसके बिना, डेटा संचार अधिक धीमी और अस्थिर होता है।


बैंडविड्थ की मापन इकाई होती हैं, जैसे कि हर्ट्ज (Hertz) या बाईट्स प्रति सेकंड (Bytes per Second)। एक्सटेन्सिवली, बैंडविड्थ को मेगाबाइट्स प्रति सेकंड (Mbps) या गिगाबाइट्स प्रति सेकंड (Gbps) में मापा जाता है।

बैंडविड्थ के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:


1. फिजिकल बैंडविड्थ (Physical Bandwidth): यह बैंडविड्थ नेटवर्क मीडिया की वास्तविक क्षमता को संदर्भित करता है। इसमें डेटा ट्रांसमिशन के लिए उपयोग की जा रही बांधक लाइन या उपकरण की ध्वनिक या इलेक्ट्रॉनिक संपर्क की गति शामिल है।


2. दिखाई देने वाला बैंडविड्थ (Displayed Bandwidth): यह बैंडविड्थ नेटवर्क डिवाइस की संचार क्षमता को संदर्भित करता है, जैसे कि राउटर या स्विच के संदर्भ में प्रदर्शित किया जाता है।


3. इंटरनेट बैंडविड्थ (Internet Bandwidth): यह उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर डेटा और मीडिया की गति को संदर्भित करने के लिए होता है। यह उपयोगकर्ताओं को अनुमति देता है तकनीकी उपकरणों के माध्यम से इंटरनेट पर डेटा को प्राप्त करने और प्रेषित करने के लिए।


4. ग्लोबल बैंडविड्थ (Global Bandwidth): यह बैंडविड्थ विश्वसमुद्र नेटवर्क की क्षमता को संदर्भित करता है, जो विभिन्न भूभागों और राष्ट्रों के बीच संचार के लिए होता है। इसमें इंटरनेट, अंतर्राष्ट्रीय वितरण और अन्य नेटवर्क सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है।



मल्टीप्लेक्सिंग (Multiplexing) एक तकनीक है जिसमें एक नेटवर्क या डेटा लाइन के माध्यम से एक से अधिक संदेशों को संचालित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य नेटवर्क और डेटा लाइन के उपयोग को अधिक प्रभावी रूप से उपयोग करना है ताकि विभिन्न संदेशों को एक ही समय में संचालित किया जा सके।


मल्टीप्लेक्सिंग की विभिन्न प्रकार होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:


1. फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (Frequency Division Multiplexing - FDM): इस प्रक्रिया में, विभिन्न संदेशों को अलग-अलग फ्रीक्वेंसी बैंड में संचालित किया जाता है।


2. टाइम डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (Time Division Multiplexing - TDM): इस प्रक्रिया में, विभिन्न संदेशों को अलग-अलग समय अंतरालों में संचालित किया जाता है।


3. वेवलेंग्थ डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (Wavelength Division Multiplexing - WDM): इस प्रक्रिया में, विभिन्न संदेशों को वेवलेंग्थ के अलग-अलग क्षेत्रों में संचालित किया जाता है, जैसे कि फोटोनिक्स में।




मॉडुलेशन (Modulation) एक तकनीक है जिसमें एक संदेश को एक उच्च तथा ठीक तरीके से स्थित तरंग (carrier wave) के साथ मिलाया जाता है ताकि वह दूरस्थ स्थान पर बिना दूषित होते हुए पहुंच सके।


मॉडुलेशन के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे:


1. एम्प्लीट्यूड मॉडुलेशन (Amplitude Modulation - AM): इस प्रकार में, संदेश की ऊर्जा को आवृत्ति (frequency) साधारित रखते हुए ऊर्जा के स्तर के साथ मिलाया जाता है।


2. फेज मॉडुलेशन (Phase Modulation - PM): इस प्रकार में, संदेश को कैरियर तरंग की चरमावृत्ति के साथ मिलाया जाता है।


3. फ्रीक्वेंसी मॉडुलेशन (Frequency Modulation - FM): इस प्रकार में, संदेश की चरमावृत्ति को कैरियर तरंग की आवृत्ति के साथ मिलाया जाता है।




प्रोटोकॉल्स (Protocols) एक संचार की नियमित स्थिरता के सेट होते हैं जो नेटवर्क या कंप्यूटर उपकरणों के बीच संदेशों को संचालित करने के लिए उपयोग होते हैं। ये नियम तय करते हैं कि कैसे और कब डेटा को भेजा जाएगा, प्राप्त किया जाएगा, और प्रसंस्करण किया जाएगा।


कुछ प्रमुख प्रोटोकॉल्स निम्नलिखित हैं:


1. ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol - TCP): इस प्रोटोकॉल का उपयोग इंटरनेट पर डेटा के सुरक्षित और स्थिर प्रेषण के लिए होता है।


2. इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol - IP): यह प्रोटोकॉल नेटवर्क के पैकेट्स को रूट करने और पते लगाने के लिए उपयोग होता है।


3. हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hypertext Transfer Protocol - HTTP): यह वेब सर्वर्स और वेब ब्राउज़र्स के बीच संचार के लिए उपयोग होता है।


4. सिम्पल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Simple Mail Transfer Protocol - SMTP): यह इलेक्ट्रॉनिक मेल संदेशों को भेजने और प्राप्त करने के लिए होता है।


5. फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (File Transfer Protocol - FTP): यह फ़ाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचालित करने के लिए होता है।



Wireless Communication


वायरलेस संचार का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है और यह कई महत्वपूर्ण उपयोगों के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ महत्वपूर्ण वायरलेस संचार क्षेत्रों में शामिल हैं:


1. मोबाइल संचार: मोबाइल फोन और स्मार्टफोन के माध्यम से वायरलेस संचार की सुविधा से लाखों लोग संपर्क में रहते हैं और डेटा साझा करते हैं।


2. इंटरनेट संचार: वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से लोग अपने डेवाइसों को इंटरनेट से कनेक्ट करते हैं, जिससे उन्हें अन्य ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंच मिलती है।


3. वायरलेस नेटवर्क: कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों में, वायरलेस नेटवर्क्स का उपयोग इंटरनेट एक्सेस, फ़ाइल शेयरिंग, और संचार के लिए किया जाता है।


4. वायरलेस संचार प्रणालियाँ: अन्य उपयोग में, वायरलेस संचार प्रणालियों का उपयोग रेडियो, सैटेलाइट, और इंफ्रारेड बाल्टों के माध्यम से संचार के लिए किया जाता है।


5. उच्च गति संचार: वायरलेस संचार प्रणालियों का उपयोग उच्च गति संचार जैसे कि 5जी और वाई-फाई के लिए भी किया जाता है।



Integrated Services Digital Network (ISDN)


एकीकृत सेवाएं डिजिटल नेटवर्क (Integrated Services Digital Network - ISDN) एक प्रौद्योगिकी है जो आवाज़ और डेटा को डिजिटल रूप में संचारित करने के लिए उपयोग होती है। यह एक विशेष तकनीकी प्रणाली है जो एनालॉग और डिजिटल डेटा को संचारित करने के लिए उपयोग की जाती है। ISDN एक संचार नेटवर्क होता है जिसमें विभिन्न सेवाओं को समर्थित किया जाता है, जैसे कि वॉयस, डेटा, वीडियो, और इंटरनेट एक्सेस।


ISDN दो प्रमुख प्रकारों में उपलब्ध होती है:


1. बेसिक इसीडीएन (Basic Rate Interface - BRI): BRI में, दो बी चैनल (B-channels) और एक डी चैनल (D-channel) होता है। B-channels डेटा और वॉयस संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं, जबकि D-channel संचार संदेशों को प्रबंधित करने के लिए उपयोग किया जाता है।


2. प्राइमरी इसीडीएन (Primary Rate Interface - PRI): PRI में, एक संख्या के बहुत से B-channels और एक D-channel होता है, जो बड़े स्थानों और उद्योग में उपयोग होता है।


ISDN का उपयोग वॉयस और डेटा के संचार के लिए किया जाता है, और यह उद्योग में दूरस्थ संचार के लिए एक लोकप्रिय प्रोटोकॉल है। इसका उपयोग विभिन्न सेवाओं में, जैसे कि वीडियो कॉलिंग, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (VPN), और अन्य उद्योगिक संचार सेवाओं में किया जाता है।


VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) एक तकनीक है जो आपको एक सुरक्षित और निजी तरीके से इंटरनेट पर संचार करने की सुविधा प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को निजी बनाना है ताकि आपकी गतिविधियाँ गोपनीय रहें और आपकी गोपनीयता सुरक्षित रहे।


VPN का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है:


1. गोपनीयता सुरक्षा: VPN आपकी गोपनीयता को सुरक्षित करता है ताकि आपकी इंटरनेट गतिविधियाँ निजी रहें।


2. डेटा एन्क्रिप्शन: VPN आपके डेटा को एन्क्रिप्ट करता है, जिससे कि कोई भी आपके इंटरनेट गतिविधियाँ देख नहीं सकता।


3. अनुप्रयोगों का अनवरोध: कई संगठन VPN का उपयोग करते हैं ताकि अपने कर्मचारियों को उनकी गोपनीयता को संरक्षित करने के लिए और अनुप्रयोगों और संसाधनों तक पहुंचने की अनुमति दें।


4. अनवांछित ब्लॉकिंग और सेंसरशिप का अनवरोध: कुछ देशों या संगठनों द्वारा ब्लॉक किए जाने वाले वेबसाइट्स और सेवाओं का पहुंच संभव बनाता है। VPN इसे अनवरोधित कर सकता है और आपको इन संबंधित साइटों और सेवाओं तक पहुंचने में मदद कर सकता है।


5. नेटवर्क ट्रांस्पेरेंसी: VPN की मदद से आप अपने नेटवर्क ट्रांस्पेरेंसी को बढ़ा सकते हैं जिससे आपकी वेब गतिविधियाँ और डेटा ट्रांसफर सुरक्षित रहे।




Open Systems Interconnection (OSI)

ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (Open Systems Interconnection - OSI) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल सूची है जो कंप्यूटर नेटवर्क्स के बीच संचार की विधि को परिभाषित करती है। OSI मॉडल का उद्देश्य विभिन्न नेटवर्क उपकरणों के बीच संचार की संरचना को स्पष्ट करना है ताकि उनके विकास और उपयोग में अधिक सरलता हो।


OSI मॉडल को सात स्तरों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:


1. प्रश्नोत्तरी स्तर (Physical Layer): इस स्तर पर डेटा को बिना रूपांतरित किए संचारित किया जाता है।


2. डेटा प्रश्नोत्तरी स्तर (Data Link Layer): इस स्तर पर डेटा को पैकेटों में विभाजित किया जाता है और त्रुटियों को संशोधित किया जाता है।


3. नेटवर्क स्तर (Network Layer): इस स्तर पर पैकेट को संचालन, पथ निर्धारण, और नेटवर्क में रूटिंग किया जाता है।


4. परिचालन स्तर (Transport Layer): इस स्तर पर डेटा के संचार को संचालित किया जाता है, और त्रुटियों को संशोधित किया जाता है।


5. सत्री स्तर (Session Layer): इस स्तर पर सत्रों को संचालित किया जाता है और सत्रों के बीच संचार का प्रबंधन किया जाता है।


6. प्रभाव स्तर (Presentation Layer): इस स्तर पर डेटा को प्रारूपित, रूपांतरित, और उपयोगकर्ता को प्रदर्शित किया जाता है।


7. परिचालन स्तर (Application Layer): इस स्तर पर उपयोगकर्ता अनुप्रयोगों के लिए सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे कि ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, आदि।




Topologies


नेटवर्क टोपोलॉज़ी (Network Topology) एक नेटवर्क की बुनियादी संरचना का वर्णन करती है, जिसमें नेटवर्क के उपकरणों के आपसी संबंधों को परिभाषित किया जाता है। यह नेटवर्क की तरह की संरचना है जो उपकरणों को कनेक्ट करती है और डेटा के प्रवाह को संचालित करती है।


कुछ प्रमुख नेटवर्क टोपोलॉज़ी की विधियाँ निम्नलिखित हैं:


1. स्टार टोपोलॉज़ी (Star Topology): इसमें सभी उपकरणों को एक सेंट्रल हब के माध्यम से कनेक्ट किया जाता है। हर उपकरण केवल हब से कनेक्ट होता है।


2. रिंग टोपोलॉज़ी (Ring Topology): इसमें हर उपकरण पूरे नेटवर्क के साथ एक लूप बनाता है, जिससे डेटा का प्रवाह होता है।


3. मेश टोपोलॉज़ी (Mesh Topology): इसमें हर उपकरण सभी अन्य उपकरणों से सीधे कनेक्ट होता है, जिससे बहुत अधिक संचार पथ होते हैं।


4. बस टोपोलॉज़ी (Bus Topology): इसमें सभी उपकरणों को एक सीधी लाइन के साथ कनेक्ट किया जाता है, जिसे "बस" कहा जाता है।


5. हाइब्रिड टोपोलॉज़ी (Hybrid Topology): इसमें दो या अधिक टोपोलॉज़ी का मिश्रण होता है, जैसे कि एक स्टार टोपोलॉज़ी और एक रिंग टोपोलॉज़ी।




Types of Networks


नेटवर्क के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:


1. लोकल एरिया नेटवर्क (LAN): यह एक छोटे क्षेत्र में उपकरणों को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि एक ऑफिस, स्कूल, या घर।


2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN): यह एक शहर या क्षेत्र में उपकरणों को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।


3. वाइड एरिया नेटवर्क (WAN): यह विभिन्न शहरों, राज्यों या देशों में उपकरणों को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।


4. ग्लोबल नेटवर्क (GAN): यह विश्वभर में उपकरणों को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि इंटरनेट।


5. सांख्यिकीय नेटवर्क (CAN): यह एक क्षेत्र के भीतर डेटा को साझा करने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि निर्माण क्षेत्रों या कारखानों में।


6. परिपथ नेटवर्क (PAN): यह एक व्यक्तिगत स्तर का नेटवर्क होता है जो एक व्यक्ति के विभिन्न डिवाइसों को कनेक्ट करता है, जैसे कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, या टैबलेट।



Internet 


इंटरनेट एक वैश्विक नेटवर्क है जो लाखों कंप्यूटरों, सर्वरों, डिवाइसों, और नेटवर्कों को आपस में जोड़ता है। यह एक व्यापक और संचार का तंत्र है जो विश्व भर में सार्वजनिक, व्यक्तिगत, और व्यवसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध है। इंटरनेट का उपयोग जानकारी को साझा करने, ऑनलाइन संचार करने, विभिन्न सेवाओं का उपयोग करने, विद्युत संचार, व्यवसाय, शिक्षा, मनोरंजन, और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए किया जाता है।


इंटरनेट का उपयोग तकनीकी और आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही समाज, संगठन, और व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित करता है। इसकी मुख्यता उच्च गति के डेटा संचार की सुविधा और संचार की अन्य सुविधाओं के साथ साथ, व्यक्तिगत और व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा करने में है।


इंटरनेट के कई उपयोग हैं, जैसे कि ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, सामाजिक मीडिया, ऑनलाइन खरीदारी, ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन सीखना, वेबसाइट विकास, गूगल सर्च, और बहुत कुछ। इसके साथ ही, इंटरनेट ने दुनिया भर में लोगों के बीच संचार को बदल दिया है और दूरस्थ संचार को सरल और सुविधाजनक बना दिया है।


Web browsers


वेब ब्राउज़र एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है जो उपयोगकर्ता को वर्ल्ड वाइड वेब पर डिज़ाइन किया गया कंटेंट देखने और पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है। यह उपकरण कंप्यूटर नेटवर्क या इंटरनेट पर वेब पेज या मल्टीमीडिया सामग्री को खोजने और प्रदर्शित करने की सेवा प्रदान करता है।

वेब ब्राउज़र का इतिहास बहुत ही रोचक है। 1990 के दशक में, टिम बर्नर्स ली ने वर्ल्ड वाइड वेब को बनाया और उसका पहला वेब ब्राउज़र "वर्ल्डवाइडवेब" (WorldWideWeb) था। इसके बाद, बहुत से अन्य वेब ब्राउज़र्स उत्पन्न हुए, जैसे कि Netscape Navigator, Internet Explorer, Mozilla Firefox, Google Chrome, Safari, Opera आदि।

  1. वर्ल्डवाइडवेब (WorldWideWeb) - 1990 में (टिम बर्नर्स ली द्वारा)

  2. नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator) - 1994 में (नेटस्केप कम्पनी द्वारा)

  3. इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) - 1995 में (माइक्रोसॉफ्ट द्वारा)

  4. मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स (Mozilla Firefox) - 2002 में (मोज़िला कॉर्पोरेशन द्वारा)

  5. गूगल क्रोम (Google Chrome) - 2008 में (गूगल द्वारा)

  6. एप्पल सफारी (Apple Safari) - 2003 में (एप्पल द्वारा)

  7. ओपेरा (Opera) - 1995 में (ओपेरा सॉफ्टवेयर द्वारा)




WWW वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) का संक्षिप्त रूप है। यह इंटरनेट का एक हिस्सा है जिसमें उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों जैसे कि वेब पेज, फ़ाइलें, और मल्टीमीडिया सामग्री तक पहुँच मिलती है। यह टिम बर्नर्स-ली द्वारा 1990 में विकसित किया गया था। वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से, उपयोगकर्ता अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ डेटा साझा कर सकते हैं, वेबसाइट पर अनुसंधान कर सकते हैं, और इंटरनेट पर उपलब्ध सभी सेवाओं और संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।


Internet Protocols and Standards – HTTP, HTTPS, FTP, SMTP, TCP/IP, URI, URL.


इंटरनेट प्रोटोकॉल और मानक (Internet Protocols and Standards) वे नियम और मानक हैं जो इंटरनेट के लिए डेटा को संचारित करने और प्रोसेस करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। ये प्रोटोकॉल और मानक इंटरनेट की सहजता, प्रभावी कार्यक्षमता, और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कुछ महत्वपूर्ण इंटरनेट प्रोटोकॉल और मानकों के उदाहरण हैं:

  1. इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट (Internet Protocol Suite): इसमें TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) जैसे प्रमुख प्रोटोकॉल शामिल हैं, जो डेटा के प्रवाह को संचारित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

  2. हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HTTP): यह वेब पेजों को लोड और संचालित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

  3. हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सुरक्षा (HTTPS): यह HTTP की सुरक्षित संस्करण है, जो डेटा के गोपनीयता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

  4. इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP): यह डेटा पैकेट की व्यवस्था और पता निर्देशन के लिए उपयोग किया जाता है।

  5. डोमेन नाम सिस्टम (DNS): यह डोमेन नामों को IP पतों में ट्रांसलेट करने के लिए उपयोग किया जाता है।

  6. सिम्पल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (SMTP): यह ईमेल के लिए उपयोग किया जाता है, डेटा के भेजने और प्राप्त करने के लिए।

HTTP (हाइपरटेक्स्ट संचार प्रोटोकॉल) और HTTPS (सुरक्षित हाइपरटेक्स्ट संचार प्रोटोकॉल) दोनों ही इंटरनेट प्रोटोकॉल हैं जो वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर के बीच संचार को नियंत्रित करते हैं। ये दोनों ही प्रोटोकॉल वेब पेजों और अन्य वेब संसाधनों को अनुरोध करने और प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

HTTP: यह एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला प्रोटोकॉल है जो वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर के बीच संचार को संचालित करता है। HTTP का उपयोग ज्ञातन और सादगी के साथ किया जाता है। इसमें डेटा खुला होता है, जिसका मतलब है कि डेटा का असुरक्षित होना संभावित होता है।

HTTPS: HTTPS प्रोटोकॉल भी HTTP के समान है, लेकिन इसमें सुरक्षा का एक अधिक प्रोटोकॉल SSL/TLS (सुरक्षित सॉकेट्स लेयर/परिसंचार लेयर सुरक्षा) भी शामिल होता है। HTTPS वेब साइटों के डेटा को एन्क्रिप्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे उपयोगकर्ता के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसलिए, जब भी आप एक HTTPS साइट पर पहुंचते हैं, तो डेटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है, जिससे डेटा की सुरक्षा होती है।

Hypertext, Hypermedia

हाइपरटेक्स्ट (Hypertext) और हाइपरमीडिया (Hypermedia) दोनों ही डिजिटल संदेशों को संचार करने के तकनीकी प्रणालियों को सूचित करते हैं।

  1. हाइपरटेक्स्ट (Hypertext): हाइपरटेक्स्ट एक प्रौद्योगिकी है जिसमें टेक्स्ट के अंश को लिंक करके अन्य टेक्स्ट, चित्र, ऑडियो, वीडियो आदि संदेशों के साथ जोड़ा जा सकता है। इसका उपयोग वेब पेज और ई-बुक्स में किया जाता है, जहां उपयोगकर्ता लिंक्स के माध्यम से विभिन्न संदेशों तक पहुंच सकते हैं।

  2. हाइपरमीडिया (Hypermedia): हाइपरमीडिया हाइपरटेक्स्ट की एक विस्तृत रूप है, जिसमें टेक्स्ट के साथ-साथ गतिशील मीडिया आइटम्स जैसे कि चित्र, ऑडियो, वीडियो, ग्राफिक्स, एनिमेशन आदि को शामिल किया जाता है। यह उपयोगकर्ता को अधिक इंटरैक्टिवता और अनुभव प्रदान करता है।

मल्टीमीडिया (Multimedia) विभिन्न प्रकार के सामग्री को संचार करने के लिए एक प्रौद्योगिकी है जो विभिन्न मीडिया फ़ॉर्मेट्स को शामिल करती है, जैसे कि चित्र, आवाज़, वीडियो, एनिमेशन, और पाठ। यह उपयोगकर्ता को एक संदेश को अधिक समृद्ध और प्रभावी ढंग से साझा करने की सुविधा प्रदान करती है। मल्टीमीडिया का उपयोग वेबसाइट्स, वीडियो गेम्स, डिजिटल सीखने, और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग (Video Conferencing) एक तकनीक है जिसका उपयोग दूरस्थ स्थानों पर स्थित लोगों के बीच वीडियो और ऑडियो के माध्यम से संचार के लिए किया जाता है। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि टीम मीटिंग्स, विद्यार्थी संवाद, और व्यापारिक संचार। यह लोगों को बिना फिजिकल प्रस्तुति के एक-दूसरे के साथ संवाद करने की सुविधा प्रदान करता है और दूरस्थ टीमों के बीच सहयोग और संचार को सुगम बनाता है।

Web Page designing


वेब पेज डिज़ाइनिंग (Web Page Designing) एक क्रिया है जिसमें एक वेब पेज को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जाता है, ताकि उपयोगकर्ता आसानी से संदेशों को समझ सकें और इस्तेमाल कर सकें। वेब पेज डिज़ाइनिंग में लेआउट, रंग, टेक्स्ट स्टाइल, ग्राफिक्स, और मल्टीमीडिया इंटरेक्टिव इलेमेंट्स को संगठित किया जाता है ताकि एक आकर्षक और प्रभावी वेब पेज तैयार हो।


वेब पेज डिज़ाइन करने के लिए कई टूल और तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि HTML (HyperText Markup Language), CSS (Cascading Style Sheets), JavaScript, और वेब डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर। वेब पेज डिज़ाइनिंग का मुख्य उद्देश्य एक उपयोगकर्ता अनुकूल और संवेदनशील अनुभव प्रदान करना होता है ताकि उपयोगकर्ता आसानी से सामग्री तक पहुंच सकें और उसे समझ सकें। वेब पेज डिज़ाइन करते समय डिज़ाइनर को उपयोगकर्ता के अनुभव, आवश्यकताओं, और वेबसाइट के उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए।


बारकोडिंग (Barcoding) एक प्रौद्योगिकी है जिसमें बार कोड (बार या रेखाएँ) का उपयोग उत्पादों, वस्त्र, डेटा इनपुट, और अन्य वस्त्रों के लिए किया जाता है। बारकोड सामग्री को एक मशीन पढ़ती है और उसे संदेश के रूप में डिजिटल डेटा में परिवर्तित करती है, जिससे उपयोगकर्ता को उस सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।


बारकोड विशेष रूप से विपणन, निगरानी, और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्रों में प्रयोग होता है। यह उत्पादों को पहचानने, इन्वेंटरी को संचालित करने, और लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं को सुधारने में मदद करता है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर और स्कैनिंग उपकरण का उपयोग किया जाता है। 


क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) एक तकनीकी सेवा है जिसमें इंटरनेट के माध्यम से संगठित और विभाजित कंप्यूटिंग संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इसमें संसाधनों की श्रेणी में विभिन्न प्रकार के सर्वर, डेटाबेस, स्टोरेज, नेटवर्क, सॉफ़्टवेयर, और अन्य हो सकते हैं, जो उपयोगकर्ताओं को वेब आधारित ऐप्लिकेशनों और सेवाओं के लिए स्थितिगत रूप से उपलब्ध होते हैं।

क्लाउड कंप्यूटिंग की मुख्य विशेषताएँ इसमें से कुछ हैं:

  1. संसाधन साझा करना: क्लाउड कंप्यूटिंग उपयोगकर्ताओं को संसाधनों को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

  2. स्केलेबिलिटी: क्लाउड कंप्यूटिंग में संसाधनों की स्केलेबिलिटी उपलब्ध होती है, जिससे उपयोगकर्ताओं की मांग के अनुसार संसाधनों को बढ़ाया और कम किया जा सकता है।

  3. सेल्फ-सर्विस: क्लाउड कंप्यूटिंग में उपयोगकर्ता खुद ही संसाधनों को सेटअप, प्रबंधित, और नियंत्रित कर सकते हैं बिना किसी सांख्यिकीय या तकनीकी ज्ञान के।

वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) एक प्रौद्योगिकी है जिसमें उपयोगकर्ता को एक विशेष वातावरण में डिजिटल रूप से बनाए गए दृश्यों और ध्वनि के माध्यम से वास्तविकता का अनुभव कराया जाता है। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कंप्यूटर सिमुलेशन और इंटरएक्टिव रियलिटी में किया जाता है।


वर्चुअल रियलिटी में उपयोगकर्ता को एक वर्चुअल या डिजिटल दुनिया में प्रवेश कराया जाता है, जिसमें वे वास्तविकता की तरह से अनुभव करते हैं। इसके लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हेडसेट, ग्लोव्स, या अन्य इनपुट डिवाइस का उपयोग किया जाता है।


वर्चुअल रियलिटी का उपयोग खेलों, शिक्षा, मेडिकल सिमुलेशन, सेना, और मनोरंजन में किया जाता है। इसका उपयोग लिया जाता है ताकि उपयोगकर्ता वास्तविकता के अनुभव के साथ विभिन्न दुनियाओं में यात्रा कर सकें या विभिन्न कौशलों का अभ्यास कर सकें।

आगमित प्रौद्योगिकियाँ (Augmented Technologies) एक प्रकार की तकनीकी हैं जो वास्तविकता को विस्तारित करने और उपयोगकर्ता को एक साथ वास्तविक और डिजिटल दुनिया का अनुभव करने की सुविधा प्रदान करती हैं। इसमें वास्तविक दृश्यों या आवाज के साथ डिजिटल धाराओं, जैसे कि वस्त्र, ग्राफिक्स, वीडियो, या डेटा, को जोड़ा जाता है।


आगमित प्रौद्योगिकियों का उपयोग खेलों, शिक्षा, व्यवसाय, मेडिकल उपचार, और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), व्यक्तिगत डिजिटल सहायता, वास्तविकता के साथ डिजिटल ऑब्जेक्ट्स का संगठन, और अन्य तकनीकी उपाय शामिल हो सकते हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ उपयोगकर्ता को एक नई और अनूठी अनुभव प्रदान करती हैं, जो उन्हें अधिक संज्ञानात्मक, संवेदनशील और सहयोगी बनाता है।


Standards for Library Automation


पुस्तकालय स्वचालन के मानक (Standards for Library Automation) उन नियमों और दिशानिर्देशों का सेट है जो पुस्तकालयों में ऑटोमेशन प्रक्रियाओं को स्थापित, प्रबंधित और लागू करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये मानक विभिन्न तकनीकी और प्रणालीक अंतर्निर्धारित सेटअप की जरूरतों को पूरा करते हैं, ताकि एक सामान्य और संगठित प्रणाली हो, जो पुस्तकालयों में सटीकता, प्रभावी कार्य, और उत्कृष्टता को सुनिश्चित करती है।

कुछ प्रमुख पुस्तकालय स्वचालन के मानक हैं:

  1. MARC (Machine Readable Cataloging): यह स्टैंडर्ड पुस्तकों और अन्य सामग्रियों के कैटलॉगिंग को डिजिटल रूप में संग्रहित करने के लिए है।

  2. AACR (Anglo-American Cataloguing Rules): ये नियम और मानक विविध पुस्तकालय कैटलॉगिंग प्रक्रियाओं को संगठित करने के लिए हैं।

  3. Z39.50: यह इंटरनेट के माध्यम से पुस्तकालय संग्रहों को संगठित तरीके से एक साथ करने के लिए है।

  4. ISO 2709: यह डेटा एक्सचेंज फॉर्मेट के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न संग्रहों और संस्थाओं के बीच डेटा साझा करने के लिए उपयोग किया जाता है।


Barcode / बारकोड एक प्रकार का खास चिह्न है जिसमें वस्त्रों, उत्पादों, पुस्तकों, या किसी अन्य उत्पाद की जानकारी को संग्रहित किया जाता है। यह एक प्रकार की मशीन पढ़ने योग्य पट्टी होती है जिसमें अल्फान्यूमेरिक और संख्यात्मक जानकारी होती है। बारकोड को किसी बारकोड स्कैनर या कैमरा के द्वारा पढ़ा जा सकता है। इसका प्रमुख उपयोग उत्पादों की पहचान और स्टॉक की जानकारी को संग्रहित करने में होता है। बारकोड को डेटा की रखरखाव के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे व्यावसायिक प्रक्रियाएं सुगम बनती हैं।


RFID (Radio Frequency Identification) एक प्रौद्योगिकी है जो आविष्कारी या उत्पादों के व्यवसायिक उपयोग के लिए डेटा को संग्रहित करने और पढ़ने की सुविधा प्रदान करती है। RFID टैग्स या चिप्स द्वारा डेटा को वितरित किया जाता है जो वस्तुओं या वस्त्रों पर लगाए जाते हैं। ये टैग्स वायरलेस रूप से एक RFID रीडर या स्कैनर के द्वारा पढ़े जा सकते हैं।


RFID प्रौद्योगिकी का उपयोग स्टॉक प्रबंधन, उत्पाद की पहचान, वस्त्र व्यवसाय, पुस्तकालय स्वचालन, और लोगिस्टिक्स में होता है। यह उपकरणों की भंडारण, परिवहन, और ट्रैकिंग को सुगम और अधिक स्वचालित बनाता है, जिससे कार्य प्रभावी और दक्षिणी होता है।


NFC (Near Field Communication) एक प्रौद्योगिकी है जो दो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बीच संचार करने की सुविधा प्रदान करती है, जो आमतौर पर आपसी संवाद के लिए बहुत कार्यक्षम होती है। NFC के द्वारा एक संदेश, डेटा, या अन्य जानकारी को एक NFC योग्य उपकरण से दूसरे NFC योग्य उपकरण में स्थानांतरित किया जा सकता है, और यह साधारणत: निकटतम दो उपकरणों के बीच उपयोग किया जाता है। NFC टैग्स, स्मार्टफोन्स, और अन्य NFC संचालित उपकरणों के माध्यम से काम करता है। NFC का उपयोग व्यापारिक और व्यक्तिगत उपयोग के लिए किया जाता है, जैसे कि भुगतान, डेटा संचार, और साझा करने के लिए सामग्री।


QR कोड (QR Code) एक प्रकार का बारकोड है जिसमें ज्यादा से ज्यादा जानकारी संग्रहित की जा सकती है। QR कोड का पूरा रूप "Quick Response Code" होता है। यह एक प्रकार की चक्रवृद्धि की बारकोड होती है, जिसमें गहरी लाइनों की बजाय कई छोटे वर्ग होते हैं।


QR कोड का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे कि विपणन, उत्पाद पहचान, लिंक कोड, यात्रा, भुगतान आदि। इसका अनुप्रयोग आसान है, क्योंकि उपयोगकर्ता एक स्मार्टफोन कैमरा का उपयोग करके QR कोड को स्कैन कर सकते हैं, जिससे वे वेबसाइट पर पहुंच सकते हैं, या अन्य सामग्री को उपभोग कर सकते हैं। QR कोड में जानकारी को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जा सकता है, जैसे कि टेक्स्ट, लिंक, ईमेल पता, वीडियो, गलती सुधारने के लिए नक्शा, आदि।


Biometric बायोमैट्रिक एक प्रौद्योगिकी है जो व्यक्ति की शारीरिक या वैयक्तिक विशेषताओं का उपयोग करती है उसकी पहचान के लिए। यह विशेषताएँ उनकी उंगलियों की रेखाओं, हस्ताक्षर, आँखों के रेटिना या आंतरजाल की विशेषताओं जैसी होती हैं। बायोमैट्रिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग व्यक्तिगत पहचान, सुरक्षा, और प्रवेश नियंत्रण के लिए होता है। उन्हें आमतौर पर ऑफिस, अंतरिक्ष और सुरक्षित क्षेत्रों, और बैंकिंग सेवाओं में प्रयोग किया जाता है।


Smartcard: Features and Applications


स्मार्टकार्ड एक विशेष प्रकार का प्लास्टिक कार्ड है जिसमें एक या अधिक इंटेग्रेटेड सर्किट चिप्स होते हैं। ये चिप्स डेटा को संग्रहित कर सकते हैं और स्मार्टकार्ड को एक कंप्यूटर या अन्य उपकरण से संचालित किया जा सकता है।

स्मार्टकार्ड की मुख्य विशेषताएँ और उनके उपयोगों की कुछ उदाहरणाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. सुरक्षा: स्मार्टकार्ड विशेष तकनीकी और गोपनीयता विशेषताओं के साथ आते हैं, जो उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए, ये विभिन्न सुरक्षा उद्योगों, बैंकिंग, और अन्य संगठनों में उपयोग किए जाते हैं।

  2. डेटा संग्रह: स्मार्टकार्ड डेटा को संग्रहित कर सकते हैं, जैसे कि व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय जानकारी, और अन्य डेटा।

  3. ऑथेंटिकेशन: स्मार्टकार्ड व्यक्ति की पहचान के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, जैसे कि डिजिटल हस्ताक्षर और अन्य प्रमाण पत्र।

  4. भुगतान: कुछ स्मार्टकार्ड वित्तीय संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिसका उपयोग भुगतान और बिल का भुगतान करने के लिए होता है।

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